कुआँ आखिर गोल ही क्यों
जानवरों की भूमिका
पुराने समय में लोगों के पास ऊँट व बैल हुआ करते थे। वही उनके व्यापार आदि को बढ़ाने में मदद करते थे। पानी कि उपलब्धता को आसान बनाने के लिए लोग कुआं खुदवाते थे। इन कुओं को अक्सर इन्हीं जानवरों कि सहायता से खोदा जाता था। जानवरों को वृत्ताकार रास्ते पर घुमाया जाता था जिससे कम समय में आसानी से कुँए की खुदाई हो जाती थी।
गोल कुँए का फायदा
कुँए कि सतह का गोल होने से, जब कभी पानी उफान पर आता है तो पानी भी गोलाकार घूम जाता है जिससे पानी से कुँए की दीवार पर ज्यादा ज़ोर नही पड़ता है और कुँए कि दीवार टूटने से बच जाती है। साथ ही कुआं खोदते समय मिट्टी का नीचे गिरने का डर भी नही रहता है।
गोल कुँए का कारण
जैसा कि आप सभी जानते ही होंगे कि लोग कुएं को खोदने के लिए कुँए के नीचे तक जाते हैं ऐसे में यदि कुँए को गोल के बजाये चौकोर खोदेंगे तो दीवारों कि मिट्टी गिरने का डर हमेशा बना रहता हें और पर्याप्त पकड़ न मिलने पर मिट्टी निश्चित रूप से गिरती ही गिरती, जिससे कुँए को आगे खोदने में भी दिक्कत होती।
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक कारण देखा जाये तो अन्य आकारों कि तुलना में गोल आकार में कुआं खोदने में एक बराबर बल लगता है जबकि चौकोर या अन्य किसी आकार में ऐसा नहीं होता है।
कुआँ बनाने की सामग्री
कुँए को गोल बनाने के लिए कंक्रीट सबसे उपर्युक्त होती है जिसकी पकड़ बहुत मजबूत होती है और कुँए को गोल आकार में बनाने में आसानी भी होती है।
पुराने ज़माने के कुँए
पुराने ज़माने में कुओं का आकार गोल के साथ-साथ आयताकार भी होता था।आयताकार कुँए जगह ज्यादा लेते थे और गोल कुँए अपेक्षाकृत कम जगह लेते थे। ग्रामीण इलाकों में जगह के अभाव के चलते गोल कुओं को बनाने पर जोर दिया जाने लगा।
कुआं खोदने कि विधि
जब कोई कुआं खोदा जाता है तो उसे काफी गहराई तक खोदा जाता है कहीं-कहीं तो इसकी गहराई 100 फीट से भी अधिक होती है। जैसे जैसे नीचे खोदते जाते हैं, नीचे जाने पर मिट्टी गीली होने लगती है। इस मिट्टी को एक दीवार के सहारे रोका जाता है। यह मिट्टी कुएं के भीतर गिरने का प्रयास करती है किन्तु दीवार इसे रोके रहती है।
इंजीनियरिंग सोच
हम जानते है कि जैसे जैसे गहराई बढ़ती जाती है, दाब बढ़ता जाता है इसलिये कुँए की गहराई बढ़ाने के साथ साथ दीवार की मोटाई भी बढ़ाते रहा जाता है। इंजीनियरों ने आयताकार व चौकोर कुओं के बजाय गोलाकार कुआँ बनाना ज्यादा सहज समझा क्योंकि दोनों आकारों कि अपेक्षा गोलाकार कुआँ कम जगह और कम लागत में बनके तैयार हो जाता है।इसीलिए ग्रामीण क्षेत्रों में पानी को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए गोलाकार कुँए तेज़ी से बनने लगे।
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Good
जवाब देंहटाएंशुक्रिया।
हटाएंAdbhut..
जवाब देंहटाएंShi likha hai
जवाब देंहटाएंJi Thank you
हटाएंAmazing 👌...Sir
जवाब देंहटाएंThank you Ma'am..
हटाएंAmazing
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंNice
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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