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आधुनिक दहेज़ प्रथा क्या है?

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आधुनिक दहेज़ प्रथा क्या है? दहेज़ प्रथा हमारे समाज में बहुत समय से चलती आ रही है। और आज भी चल रही है। दहेज़ का अर्थ होता है जो सम्पति कन्या पक्ष के परिवार की तरफ से वर पक्ष के लोगो द्वारा मांगी जाने पर दी जाती है। दहेज़ प्रथा गैर क़ानूनी है फिर भी ये हमारे समाज में खुली तौर पर राज करती है। गाँधी जी थे दहेज़ के ख़िलाफ़ महात्मा गाँधी जी ने दहेज़ प्रथा के बारे में कहा था कि जो व्यक्ति दहेज़ को विवाह की जरूरी शर्त बना देता है वह अपने देश को बदनाम करता है। और साथ ही पूरी स्त्री जाति का अपमान करता है। ये बात महात्मा गाँधी जी ने आज़ादी के पहले कही थी। लेकिन आज़ादी के इतने साल बाद भी दहेज़ प्रथा को चलाया जा रहा है। दहेज़ एक कानूनी अपराध दहेज़ एक कानूनी अपराध है। जिसने न जाने कितनी बेकसूर महिलाओं की जान ली है। चाहे वे गरीब हों या मध्यम वर्ग की, इसके जाल में अक्सर फसती हैं। इसका सबसे बड़ा कारण जागरूकता तथा शिक्षा का अभाव है। दहेज़ प्रथा के कारण ही हमारे समाज में बेटियों को बेटे की तुलना में कम महत्व दिया जाता है। बहुत से ऐसे लोग हैं जिनका मानना है की बेटियाँ माँ-बाप के जीवन पर बोझ होती ...

स्त्री का अपमान, आख़िर कब तक?

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स्त्री का अपमान क्यों? स्त्री युगों युगों से ही अपमान सहती आ रही है। कभी धर्म के नाम पर, कभी लोक लज्जा के नाम पर, कभी अधिकारों के नाम पर, तो कभी अपने अस्तित्व के नाम पर। आज जहां एक तरफ हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ युगों से चली आ रही कुप्रथाओं, किस्से कहानियों, तथाकथित रचनाकारों की रचनाओं का हवाला देके उन्हें अपमानित भी करते रहते हैं।इतिहास भरा पड़ा है ऐसे तमाम उदाहरणों से। उस समय की घटनाएं कहीं ना कहीं आज भी स्त्री की छवि को धूमिल करती आ रही हैं। अपमान किसी का भी हो, परिणाम हमेशा विध्वंसकारी होता है। ऐसे में इन रचनाओं और ऐसे रचनाकारों का त्याग कर देना ही सर्वथा उचित जान पड़ता है। यहां इतिहास की उन कुछ घटनाओं का ज़िक्र किया जा रहा है जब जब किसी स्त्री का अपमान हुआ है... दोहरा व्यवहार कब तक पहली बड़ी घटना जो महिलाओं को निर्वस्त्र करने की प्रेरणा देती है -  द्रौपदी चीरहरण दूसरी बड़ी घटना जो महिलाओं को जलाने की प्रेरणा देती है -  होलिका दहन तीसरी बड़ी घटना जो महिलाओं को मारने-पीटने और अपमानित करने की प्रेरणा देती है -  लक...