स्त्री का अपमान, आख़िर कब तक?

स्त्री का अपमान क्यों?

हिन्दू धर्म में हुआ स्त्री का अपमान

स्त्री युगों युगों से ही अपमान सहती आ रही है। कभी धर्म के नाम पर, कभी लोक लज्जा के नाम पर, कभी अधिकारों के नाम पर, तो कभी अपने अस्तित्व के नाम पर। आज जहां एक तरफ हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ युगों से चली आ रही कुप्रथाओं, किस्से कहानियों, तथाकथित रचनाकारों की रचनाओं का हवाला देके उन्हें अपमानित भी करते रहते हैं।इतिहास भरा पड़ा है ऐसे तमाम उदाहरणों से। उस समय की घटनाएं कहीं ना कहीं आज भी स्त्री की छवि को धूमिल करती आ रही हैं। अपमान किसी का भी हो, परिणाम हमेशा विध्वंसकारी होता है। ऐसे में इन रचनाओं और ऐसे रचनाकारों का त्याग कर देना ही सर्वथा उचित जान पड़ता है। यहां इतिहास की उन कुछ घटनाओं का ज़िक्र किया जा रहा है जब जब किसी स्त्री का अपमान हुआ है...

दोहरा व्यवहार कब तक

नारियों से दोहरा व्यवहार कब तक
  • पहली बड़ी घटना जो महिलाओं को निर्वस्त्र करने की प्रेरणा देती है - द्रौपदी चीरहरण
  • दूसरी बड़ी घटना जो महिलाओं को जलाने की प्रेरणा देती है - होलिका दहन
  • तीसरी बड़ी घटना जो महिलाओं को मारने-पीटने और अपमानित करने की प्रेरणा देती है - लक्ष्मण द्वारा मंथरा का अपमान
  • चौथी बड़ी घटना जो महिलाओं को घर से भगाने व तलाक देने की प्रेरणा देती है - सीता को त्यागना
  • पांचवीं बड़ी घटना जो महिलाओं के बलात्कार को बढ़ावा देती है और बलात्कारी का समर्थन करती है - बलात्कार पीड़िता अहिल्या को सज़ा और बलात्कारी इंद्र को देवताओं का राजा मानना
  • छठी बड़ी घटना जो महिलाओं के अंग-भंग करने का समर्थन करती है - लक्ष्मण द्वारा सूपर्णखा की नाक काटना
  • स्त्री झूठ का अवतार है - मैत्रेयी संहिता
  • स्त्री का हृदय, भेड़िये के हृदय जैसा होता है - ऋग्वेद
  • स्त्री में 8 दोष होते हैं झूठ, अस्थिरता, लालच, छल, मूर्खता, अपवित्रता, क्रूरता, अशिष्टता - शुक्राचार्य
  • ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी अर्थात इन सभी की तरह स्त्री भी सिर्फ मार खाने की अधिकारी है - तुलसीकृत रामायण (सुंदरकांड)
  • यज्ञ के समय कुत्ता, शूद्र और नारी की तरफ नहीं देखना चाहिए - शतपथ ब्राह्मण
  • नारी अशुभ है - मैत्रायणी व तैत्तिरीय संहिता
  • स्त्री को कभी स्वतंत्र नहीं छोड़ना चाहिए, स्त्री केवल दासी हो सकती है - मनु स्मृति

यह भी देखें: अंधविश्वास सिर्फ़ मनुवादियों की देन है

ये वो उदाहरण हैं जिन्हें आज भी समाज में बहुतायत मात्रा में परोसा जा रहा है। ऐसे विचारों और ऐसे विचारकों को जीवन में अपनाकर हम अच्छे भविष्य की कामना नहीं कर सकते हैं। स्त्री हमारे समाज की एक अहम कड़ी है। अगर वह कड़ी ही कमजोर होगी तो समाज कैसे मजबूत हो सकता है। इसलिए महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर मिलने चाहिए ताकि देश की नारी मजबूत हो सके और देश के विकास में एक अहम भूमिका निभा सके। महिलाओं के साथ भेदभाव दूषित मानसिकता को दर्शाता है, एक सभ्य समाज में भेद भाव जैसा शब्द नहीं होना चाहिए। नारी का विकास ही सम्पूर्ण समाज को विकास की ओर ले जाता है।

महिला सशक्तिकरण

महिला सशक्तिकरण

आज भारत में महिलाओं की स्थिति में बहुत अधिक सुधार हुआ है। देश ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर हर क्षेत्र में वे पुरुषों के समान अपनी अलग पहचान बना रहीं हैं। अपने स्वयं के अनुभव, मेहनत और आत्मविश्वास से अपने लिए नई मंज़िलें, नए रास्ते बना रहीं हैं। महिलाओं की स्थिति में सुधार निश्चित रूप से किसी भी देश की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने में कारगर सिद्ध होता है।

महिला सुरक्षा में चाहिए कड़े सुधार

सुरक्षा में चाहिए कड़े सुधार

आज देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई कारगर कदम उठाये जा रहे हैं, बावजूद इसके आज भी तमाम ऐसी हृदय विदारक घटनाएं हो रही हैं जिनसे महिलाओं की सुरक्षा आदि पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होना स्वाभाविक है। इन सब में आज भी सुधार की आवश्यकता है।

पूरा लेख पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। महिलाओं की स्थिति में और अधिक सुधार कैसे हो, इस पर अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखें।

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13 टिप्पणियाँ

  1. 101% सच है कि हिंदू धर्म ही महिलाओं का सत्यानाश किया है और हमारे देश का हिंदू धर्म को वही मानते हैं जो जानते नहीं हैं जो जानता है वह मानता नहीं जो मानता है वह जानता नहीं मानना मूर्खों का काम है और जानना ज्ञानियों का काम है धन्यवाद

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  2. जब तक अर्थिक रूप से समानता नहीं आयेगी तब तक समानता नहीं आयेगी। स्त्री को भी अर्थिक रूप से समानता का अधिकार होना चाहिए।

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  3. sach me agyanke karan hi mahilayen andhvishwas wpakhandwad me rahti hai

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    1. लड़का लड़की एक समान।
      पढ़ लिखकर सब बनें महान।

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