69000 भर्ती पर फिर लगा स्टे। भर्तियों में हो रहा बंदरबांट

69000 शिक्षक भर्ती

69000 शिक्षक भर्ती

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में 69,000 शिक्षकों की भर्ती का मामला निपटने का नाम नहीं ले रहा। काउंसेलिंग प्रक्रिया के दौरान ही मानो सब पहले से ही तय था ठीक उसी दिन स्टे आर्डर आ जाता है। एक बार मामला फिर से हाई कोर्ट पहुंचा है, नतीजा ये कि अब चयनित अभ्यर्थियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुई भर्ती पर फिलहाल रोक लगा दी है।

69000 हाइलाइट्स
  • जनवरी 2019 में उत्तर प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में निकाले थे पद।
  • 69000 शिक्षकों की भर्ती के लिए 4 लाख अभ्यर्थियों ने दी थी परीक्षा।
  • कटऑफ को लेकर हुआ था विवाद, मामला पहुंचा था हाई कोर्ट।
  • इससे पहले हाई कोर्ट ने तीन महीने के अंदर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का दिया था आदेश।
  • अब लखनऊ बेंच में पहुंचा मामला, बेंच ने राज्य सरकार और यूजीसी से पूछे सवाल।
क्या है पूरा मामला

दरअसल बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए छह जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा कराई गई थी। इन पदों के लिए करीब चार लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। परीक्षा के बाद सरकार ने भर्ती का कटऑफ सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के लिए 65 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग के लिए 60 प्रतिशत तय किया था। इस आदेश को लेकर अभ्यार्थियों ने हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में चुनौती दी थी।

याचिकाकर्ताओं की मांग थी कि सरकारी नियमों के हिसाब से भर्ती के लिए डाली गई याचिका पर सुनवाई हो और महाधिवक्ता हर सुनवाई में मौजूद रहें। हाई कोर्ट की एकल पीठ में इस तरह कई याचिकाएं दायर हुईं।

हाई कोर्ट ने 6 मई को फैसला सुनाते हुए ये आदेश दिया था कि शिक्षक भर्ती सरकार के तय मानकों के आधार पर ही होगी। इसी के साथ कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि भर्ती प्रक्रिया अगले तीन महीने के अंदर पूरी जाए। हालांकि यह केस एक बार फिर से कोर्ट पहुंच गया और अब अदालत ने यह फैसला दिया।

हाई कोर्ट लखनऊ की बेंच में कोर्ट नंबर 26 में मामले की सुनवाई की गई। यह याचिका अमिता त्रिपाठी और अन्य की ओर से दायर की गई थी। हाई कोर्ट ने कहा है कि यूजीसी के चेयरमैन को पत्र लिखकर सारे विवादित प्रश्नों पर एक्सपर्ट ओपिनियन लिया जाएगा। एक्सपर्ट का ओपिनियन आने के बाद अब आगे फैसला होगा।

ख़बरों की माने तो चयनित अभ्यर्थियों का गुस्सा फिलहाल सरकार की शिक्षा नीतियों को गलत ठहराकर निकल रहा है जो कि काफी हद तक सही भी जान पड़ता है। राज्य शिक्षा मंत्री भी फिलहाल अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वहन कम और कन्नी काटते ज़्यादा नज़र आ रहे हैं।

एक शिक्षक होने के नाते मैं 69000 भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों की मनोदशा समझ पा रहा हूँ। पहले चयन होने की खुशी फिर ये स्टे आर्डर आने का दुःख पाकर आप निश्चित रूप से अपने आपको ठगा महसूस कर रहे होंगे। किन्तु आप निराश ना हों। एक साथ मिलकर आवाज़ उठाइए।


इस 69000 शिक्षक भर्ती पर आपको क्या कहना है, हमें नीचे कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।

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