स्कूलों का खुलना अभी ख़तरनाक
वर्तमान समय में देश कई विकट समस्यायों से जूझ रहा है। कोरोना संक्रमण के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में स्कूलों को खोलना ख़तरे से खाली नहीं लगता। हालांकि अब देश धीरे-धीरे देश खुलने लगा है। अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आने लगी है। संक्रमित मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही हो, ऐसे में बच्चों को स्कूल बुलाने का निर्णय घातक हो सकता है। यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि विद्यालयों में तमाम इंतजाम के बाद भी दो गज की दूरी का पालन करना कठिन होगा, खासतौर से स्कूलों के छोटे बच्चों को लेकर चिंता ज्यादा है। लिहाजा सरकार को चाहिए कि वह इस संवेदनशील विषय पर पर्याप्त विचार-विमर्श करे और संक्रमण-दर में स्थिरता आने पर ही कोई फैसला ले। जल्दबाजी में किसी भी प्रकार का निर्णय स्कूल के बच्चों के खिलाफ जा सकता है।
सरकार का फैसला
अनलॉक 4.0 में जहां एक तरफ स्कूलों को खोलने की बातें चल रहीं हैं वहीं दूसरी तरफ दिन पर दिन कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या अब स्कूली बच्चों के लिए चिन्ता का विषय बनती नज़र आ रही है। ऐसे में यदि स्कूल खुलते भी हैं तो क्या बच्चों के अभिभावक उन्हें स्कूल भेजने के पक्ष में होंगे, ये कहना फ़िलहाल बहुत मुश्किल है। भले ही बड़े लोगों की तुलना में बच्चे कम संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन उन पर खतरा कहीं ज्यादा है, खासकर छोटे बच्चों पर। इसीलिए स्कूल खोलना अभी जोखिम भरा फैसला होगा। इस पर सरकार को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, आखिर यह नई पीढ़ी के जीवन का सवाल है। किसी स्कूल में एक भी नया संक्रमण काफी सारे बच्चों को बीमार बना सकता है।
ऑनलाइन शिक्षा पर बढ़ती निर्भरता
कोरोना संकट काल में जहां एक ओर देश भर में डिजिटल शिक्षा का चलन बढ़ा है, तो वहीं दूसरी ओर विद्यालयों में पढ़ रहे उन विद्यार्थियों के लिए दुविधा की स्थिति पैदा हो गई है, जिनके पास तकनीकी साधनों का अभाव है। भले ही विद्यालयों में अब ऑनलाइन शिक्षा शुरू हो गई है, लेकिन यहां ऐसे विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में पढ़ते हैं, जिनके परिजन अभी दो जून की रोटी के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। जाहिर है, स्कूलों में पढ़ने वाले हर बच्चे के पास स्मार्टफोन और नियमित डाटा पैक का होना संभव नहीं है। इस कारण वे पढ़ाई से दूर हो रहे हैं, जिससे उनके मानसिक विकास में रुकावट पैदा हो रही है। इससे बच्चे गैर-उत्पादक कामों में भी शामिल हो रहे हैं, जो उन्हें भटकाव और दिशाहीनता की ओर ले जाएगा। इन बच्चों के लिए जल्द से जल्द जरूरी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए।मौजूदा परिस्थिति में लगता है कि हमारे लिए ऑनलाइन शिक्षा ही एकमात्र विकल्प है। इस वैश्विक महामारी में बच्चे कितने दिनों तक स्कूल नहीं जा पाएंगे, यह कहना मुश्किल है। ऐसे में, सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि स्कूली बच्चों के लिए नए सत्र की शुरुआत ऑनलाइन शिक्षा से की जाए। अब सवाल यह है कि ऑनलाइन शिक्षा किस हद तक सफल होगी? फिलहाल इसका ठीक-ठीक जवाब नहीं दिया जा सकता।
हर क्षेत्र हुआ प्रभावित
कोरोना का यह दौर हर क्षेत्र के लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। इसने हमारे हर अवसर को ठेस पहुंचाई है। शिक्षा क्षेत्र की ही बात करें, तो ऑनलाइन कक्षा से विद्यार्थी व शिक्षक, दोनों संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं। इतना ही नहीं, छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए वार्षिक परीक्षा का अवसर मिलता रहता है, इस बार उन्हें इससे भी वंचित होना पड़ा। पढ़ाई से इतर विद्यालय की तमाम गतिविधियां भी बंद हैं, जिनमें छात्र अपना हुनर दिखाते रहे हैं। इसी तरह, सिनेमा जगत और खेल जगत में भी प्रतिभाओं का प्रदर्शन नहीं हो पा रहा है। कल-कारखानों की बात करें, तो वहां भी स्थिति ठीक नहीं है। मजदूरों को पलायन, भूख और बेरोजगारी जैसी कई समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
होनी चाहिए फीस माफ़
कोरोना के चलते सभी स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2020-21 की प्रथम तिमाही (अप्रैल-जून) की फीस पूरी तरह माफ कर देनी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि वर्तमान सत्र में अप्रैल से अगस्त माह में किसी प्रकार की कोई औपचारिक कक्षाएं नहीं हो पाई है।लॉकडाउन के चलते समाज का हर वर्ग आर्थिक तौर पर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। विशेष रूप से निजी क्षेत्र के नौकरी-पेशा अभिभावकों के लिए, जिनको इस अवधि में 40-50 प्रतिशत वेतन ही मिला है, उनके लिए फीस दे पाना संभव नहीं है। केंद्र व राज्य सरकारों ने जिस प्रकार तमाम आर्थिक रियायतों और सहयोग की घोषणा की है।निजी स्कूलों के पास भी कई तरह के फंड पहले से मौजूद हैं, ऐसे में अपेक्षा है कि वे इस अवधि के लिए अपने स्टाफ का वेतन अपने निजी संसाधनों से देने पर विचार करें और अभिभावकों पर इसके लिए किसी प्रकार का दवाब न बनायें।
पूरा लेख पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद। कोरोना प्रभावित लोगों की संख्या लगातार तेज़ी से बढ़ रही है। ऐसे में अभी स्कूल खुलने चाहिए या नहीं। इस पर आपकी क्या राय है, हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखें।
No
जवाब देंहटाएंजी शुक्रिया !
हटाएंSchool nahi open hone chahiye
जवाब देंहटाएंआपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद !
हटाएंStudy ka bhi bahut loss ho rha h....
जवाब देंहटाएंStudy ka bhaut loss ho raha hai sir
जवाब देंहटाएंअब विद्यालय खुलने लगे हैं।
हटाएंAbhi nhi khulne chahiye
जवाब देंहटाएंअभी ख़तरा टला नहीं।
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