1. निर्देश: दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढिए और उसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के यथोचित उत्तर दीजिए:
कृष्ण और कालिन्दी दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। यह तो नहीं कहा सकता कि कदम्ब के बिना कृष्ण अधूरे थे, किन्तु उसका अभाव अवश्य खटकता है। प्रसिद्ध है कृष्ण की बंसी की मधुर आवाज और गोपियों की कृष्णोत्सर्ग प्रेम-कथाएँ। भोर का फूटता प्रभात हो या रात्रि की छिड़ती रागिनी हो। जब कभी कृष्ण की मुरली पेड़-पौधों, कुंज लताओं को चीरती, गूँजती हुई गोप-बालाओं के कानों में पहुँचती थी, वे प्रेम में भावविह्नल हो, मदहोश बनी अपने प्रिय के पास चल पड़ती थीं। कहते हैं मुरलीधर का सान्निध्य पाने की गोपियों की अकुलाहट परमात्म-तत्त्व में मिलने की आत्मा की छटपटाहट का संकेत है। इस लौकिकता में भी अलौकिकता अन्तर्निहित है, पर इस अलौकिकता को पहुचे हुए लोग ही समझ पाते हैं। मुझ जैसों की क्या बिसात? मेरे लिए तो आत्मा और परमात्मा का सम्बन्ध किसी भी प्रकार की क्लिष्टता से बढ़कर है। मुझे, अगर कुछ सूझता है, तो बस कदम्ब, जिसकी पूर्ण आकृति से लेकर फूल, फल, पत्तियों, मकरन्द, यहाँ तक कि उन सूक्ष्म कोशिकाओं के स्वरूप भी अपनी व्याख्या चाहते हैं मुझसे। कृष्ण का ग्वाल-बालों के साथ वृन्दावन की झुरमुटों और वनों में गायों का चराना, उनकी मनभावनी बंसी की मधुर आवाज सुन गायों का सम्भाना या फिर कृष्ण की माखन चोरी, गोपियों का उलाहना, यशोदा माता की डाँट-फटकार सारे-के-सारे कृष्ण कृतित्व कदम्ब के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते प्रतीत होते हैं।
प्रश्न: निम्नलिखित में से यमुना नदी के किस पर्यायवाची शब्द का गद्यांश में प्रयोग हुआ है?